
नई दिल्ली: हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत में महंगाई दर में लगातार गिरावट दर्ज की गई है, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि को गति मिलने की उम्मीद जगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई में कमी से उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे मांग में वृद्धि होगी और अंततः सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति (सीपीआई) लगातार कम हो रही है, जो कि अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। महंगाई में गिरावट के कई कारण हैं, जिनमें खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और सरकार द्वारा उठाए गए प्रभावी कदम शामिल है
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि महंगाई में गिरावट से आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करने का मौका मिलेगा, जिससे कर्ज सस्ता होगा और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे न केवल उद्योग जगत को लाभ होगा, बल्कि आम नागरिकों को भी राहत मिलेगी।
महंगाई में गिरावट से उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ेगा, जिससे वे अधिक खर्च करने के लिए प्रेरित होंगे। यह उपभोक्ता खर्च जीडीपी वृद्धि का एक महत्वपूर्ण चालक है। जब लोग अधिक खर्च करते हैं, तो व्यवसायों को अधिक लाभ होता है, जिससे वे अधिक निवेश करते हैं और अधिक रोजगार पैदा करते हैं।
सरकार ने भी महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में सुधार, जमाखोरी और कालाबाजारी पर लगाम लगाना और खाद्य सब्सिडी को प्रभावी ढंग से लागू करना शामिल है। इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर महंगाई पर काबू पाया जाता है, तो भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से विकास कर सकती है। हालांकि, उन्हें यह भी चेतावनी दी है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनावों से भी सतर्क रहना होगा, जो महंगाई को फिर से बढ़ा सकते हैं। सरकार को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा ताकि देश की आर्थिक वृद्धि को निरंतर बनाए रखा जा सके।