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हिमाचल के सेब उत्पादकों को बजट से 100% आयात शुल्क की उम्मीद.
शिमला: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी, जिससे विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों को बड़ी उम्मीदें हैं।

हिमाचल प्रदेश, जो देश का दूसरा सबसे बड़ा सेब उत्पादक राज्य है, वहां के बागवान 100% आयात शुल्क की मांग कर रहे हैं।
- सेब उत्पादकों का कहना है कि कम आयात शुल्क के कारण उन्हें भारी नुकसान हो रहा है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनाव प्रचार में आयात शुल्क बढ़ाने का वादा किया था।
- हिमाचल प्रदेश हर साल 2.5 से 4 करोड़ सेब बॉक्स का उत्पादन करता है।
- सेब उद्योग का वार्षिक टर्नओवर ₹3500-4500 करोड़ है।
- देश में सेब उत्पादन में कश्मीर पहले स्थान पर है, उसके बाद हिमाचल, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश आते हैं।
- सिंचाई की कमी, पहाड़ी इलाका, ऊंची उत्पादन लागत और परिवहन समस्याएं हिमाचल के किसानों के लिए बड़ी चुनौती हैं।
- चीन, न्यूजीलैंड और अमेरिका से आने वाले सेब सस्ते और उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं।
- आधुनिक तकनीक और बेहतर सिंचाई सुविधाएं विदेशी सेब उत्पादकों को बढ़त देती हैं।
- टर्की, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आयातित सेब पर कोई शुल्क नहीं लगता जिससे वे और भी सस्ते हो जाते हैं।
- भारत में वर्तमान में सेब पर 50% आयात शुल्क लगाया जाता है।
- किसान इसे अपर्याप्त मानते हैं और इसे बढ़ाकर 100% करने की मांग कर रहे हैं।
- हिमाचल में सेब की खेती से लगभग चार लाख परिवारों की आजीविका जुड़ी हुई है।
- बागवानों के छोटे भूमि हिस्से और अधिक उत्पादन लागत से प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया है।
- 100% आयात शुल्क से विदेशी सेब महंगे हो जाएंगे और स्थानीय बागवानों को लाभ मिलेगा।
- किसानों का कहना है कि सरकार को उनके हितों की रक्षा करनी चाहिए।
- सेब उत्पादकों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे आंदोलन कर सकते हैं।
- विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को सब्सिडी और लॉजिस्टिक्स पर भी ध्यान देना चाहिए।
- हिमाचल में सेब उद्योग राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है।
- बाजार में हिमाचली सेब की कीमतें गिरने से बागवानों की आय प्रभावित हुई है।
- अब किसानों की नजरें आगामी बजट पर टिकी हुई हैं।