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ग्राउंड रियलिटी: साई का बोलपुर तीरंदाजी केंद्र बंद होने की कगार पर.

2007 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी द्वारा उद्घाटन किया गया, कबीगुरु क्रीड़ांगन ने ऐसे तीरंदाज तैयार किए हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर और एशिया कप में प्रतिस्पर्धा की है।

हालांकि, रखरखाव और धन की कमी के कारण, यह केंद्र अब बंद होने की कगार पर है।

यह खबर क्यों महत्वपूर्ण है?

यह खबर खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने और उन्हें उचित प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान करने के महत्व को उजागर करती है। यह दिखाती है कि यदि खेल केंद्रों को उचित रखरखाव और धन नहीं दिया जाता है, तो वे बंद हो सकते हैं और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का भविष्य अधर में लटक सकता है।

मुख्य बातें:

  • कबीगुरु क्रीड़ांगन 2007 में शुरू हुआ था।
  • इस केंद्र ने राष्ट्रीय स्तर के तीरंदाज तैयार किए हैं।
  • रखरखाव और धन की कमी के कारण केंद्र बंद होने की कगार पर है।

यह खबर हमें क्या बताती है?

यह खबर हमें बताती है कि खेल केंद्रों को चलाने के लिए पर्याप्त धन और संसाधनों की आवश्यकता होती है। यदि इन केंद्रों को उचित समर्थन नहीं दिया जाता है, तो वे बंद हो सकते हैं और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का विकास रुक सकता है।

हमें क्या करना चाहिए?

  • हमें खेल केंद्रों को चलाने के लिए पर्याप्त धन और संसाधनों की व्यवस्था करनी चाहिए।
  • हमें खेल प्रतिभाओं को पहचानने और उन्हें उचित प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक प्रणाली विकसित करनी चाहिए।
  • हमें खेलों को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।

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