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श्रीनगर के जीएमसी के ऑन्कोलॉजी विभाग की प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. शमीमा वानी ने चिंता जताई है कि कश्मीर में युवा महिलाओं में ओवेरियन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह कैंसर, जो पहले ज्यादातर वृद्ध महिलाओं में देखा जाता था, अब 30 साल तक की युवा महिलाओं को भी अपना शिकार बना रहा है।
डॉ. शमीमा वानी ने इसके कई संभावित कारणों पर प्रकाश डाला, जिनमें देर से शादी, मोटापा, देर से या बच्चा न होना, खानपान और जीवनशैली में बदलाव, और कुछ हार्मोनल दवाओं का उपयोग शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अंडाशय में लगातार अंडे बनने की प्रक्रिया भी ओवेरियन कैंसर का कारण बन सकती है। युवा और अविवाहित लड़कियों में इस कैंसर के बढ़ते मामलों के लिए उन्होंने जीवनशैली और आहार में बदलाव, खासकर सब्जियों और फलों में कीटनाशकों के उपयोग को जिम्मेदार ठहराया।
डॉ. शमीमा ने जोर देकर कहा कि ओवेरियन कैंसर के शुरुआती चरणों में पता चलने पर इलाज संभव है और 70 प्रतिशत तक मरीजों को ठीक किया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कैंसर के दोबारा होने की संभावना बनी रहती है। उन्होंने कश्मीर में पिछले कुछ वर्षों में स्त्री रोग संबंधी कैंसर के मामलों में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की, जिसमें ओवेरियन कैंसर भी शामिल है।