
Justice Yashwant Varma
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर के फैसले के बाद बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। गुरुवार को बार एसोसिएशन के छह वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय वाई. चंद्रचूड़ और कॉलेजियम के अन्य सदस्यों जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अभय एस. ओका से मुलाकात कर ट्रांसफर के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की।
ट्रांसफर को लेकर वकीलों में असंतोष
बार एसोसिएशन का कहना है कि जस्टिस वर्मा को बिना किसी ठोस कारण के ट्रांसफर किया जा रहा है, जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा करता है। वकीलों का तर्क है कि इस फैसले से न केवल न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होगी, बल्कि न्यायाधीशों की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर भी असर पड़ेगा।
क्या है पूरा मामला?
- हाल ही में कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण की सिफारिश की थी, जिसे लेकर वकीलों और वरिष्ठ न्यायिक विशेषज्ञों में नाराजगी है।
- बार एसोसिएशन का दावा है कि यह ट्रांसफर राजनीतिक दबाव में किया गया है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इन दावों को खारिज कर दिया है।
- वकीलों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे।
CJI ने दिया यह जवाब
बैठक के दौरान, मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई. चंद्रचूड़ ने प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि उनकी चिंताओं पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम किसी भी न्यायाधीश के ट्रांसफर के पीछे पारदर्शिता और योग्यता को प्राथमिकता देता है।
आगे की रणनीति
बार एसोसिएशन ने ऐलान किया है कि यदि कॉलेजियम ने अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया, तो वे सुप्रीम कोर्ट परिसर में धरना प्रदर्शन करेंगे और केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग करेंगे।
जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर पर उठे विवाद ने न्यायपालिका और वकीलों के बीच संवेदनशील बहस को जन्म दिया है। अब देखना होगा कि क्या कॉलेजियम अपने फैसले पर कायम रहता है या वकीलों के दबाव में बदलाव करता है।