
India UAE and Shri Lanka meeting.
चीन की परियोजनाओं को मिल सकती है कड़ी टक्कर
कोलंबो/नई दिल्ली: श्रीलंका के त्रिंकोमाली शहर में भारत, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और श्रीलंका ने मिलकर एक बड़े और महत्वाकांक्षी ऊर्जा हब की स्थापना का ऐलान किया है। यह त्रिपक्षीय परियोजना न सिर्फ क्षेत्रीय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती देगी, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से चीन की बढ़ती मौजूदगी को चुनौती भी दे सकती है।
इस समझौते की घोषणा हाल ही में त्रिंकोमाली में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान की गई, जिसमें तीनों देशों के ऊर्जा और विदेश मामलों से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। त्रिंकोमाली को इसकी भौगोलिक स्थिति और समुद्री मार्गों के नजदीक होने के कारण ऊर्जा भंडारण और आपूर्ति के लिहाज से एक आदर्श स्थान माना जाता है।
प्रस्तावित ऊर्जा हब में तेल रिफाइनरी, गैस भंडारण, हरित ऊर्जा उत्पादन और एलएनजी टर्मिनल जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इस परियोजना का उद्देश्य भारत और यूएई की तकनीकी और वित्तीय विशेषज्ञता को श्रीलंका की भौगोलिक स्थिति से जोड़ते हुए एक वैश्विक ऊर्जा केंद्र स्थापित करना है।
जानकारों का मानना है कि यह कदम चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना (BRI) के तहत श्रीलंका में चल रही अरबों डॉलर की योजनाओं को संतुलित करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। हंबनटोटा बंदरगाह और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर चीन की पकड़ को देखते हुए यह त्रिपक्षीय सहयोग श्रीलंका के लिए एक संतुलनकारी विकल्प पेश करता है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस साझेदारी को ‘क्षेत्रीय स्थिरता और ऊर्जा सहयोग का नया अध्याय’ बताया है। वहीं श्रीलंका सरकार को उम्मीद है कि इस परियोजना से देश में निवेश, रोजगार और आर्थिक स्थिरता को नया बल मिलेगा।
परियोजना के शुरुआती चरण में भूमि अधिग्रहण और आधारभूत ढांचे पर कार्य शुरू हो चुका है, और अगले दो वर्षों में इसके पहले चरण के पूरा होने की उम्मीद है।
यह ऊर्जा हब न सिर्फ तीन देशों के बीच मजबूत आर्थिक रिश्तों का प्रतीक बनेगा, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में नई रणनीतिक धुरी की शुरुआत भी करेगा।