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कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2024 में समुद्री बर्फ का स्तर रिकॉर्ड न्यूनतम पर पहुंच गया।
मुख्य बिंदु:
- फरवरी 2024 में समुद्री बर्फ का स्तर अब तक के सबसे निचले स्तर पर रहा।
- कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने इस पर चिंता जताई।
- फरवरी 2024 दुनिया का तीसरा सबसे गर्म फरवरी महीना रहा।
- अंटार्कटिका और आर्कटिक में बर्फ का तेजी से पिघलना जारी।
- ग्लोबल वार्मिंग समुद्री बर्फ की कमी का प्रमुख कारण।
- बर्फ पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ने की आशंका।
- समुद्री जीवन और जलवायु संतुलन पर बुरा असर।
- 2023 और 2024 में लगातार तापमान बढ़ोतरी दर्ज की गई।
- ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से जलवायु संकट और गंभीर हो रहा है।
- वैज्ञानिकों ने इस प्रवृत्ति को “चिंताजनक संकेत” बताया।
- अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ का स्तर ऐतिहासिक रूप से कम।
- जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम जरूरी।
- ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने से पर्यावरण को बड़ा खतरा।
- समुद्री तापमान में वृद्धि से चक्रवात और तूफानों का खतरा बढ़ा।
- संयुक्त राष्ट्र ने इसे “गंभीर जलवायु चेतावनी” कहा।
- बढ़ते तापमान से प्रवाल भित्तियों (Coral Reefs) को नुकसान।
- विशेषज्ञों ने कार्बन उत्सर्जन कम करने पर दिया जोर।
- विश्व स्तर पर सरकारें जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीति बना रही हैं।
- पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों में तापमान वृद्धि चिंताजनक स्तर पर।
- जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए जागरूकता जरूरी।