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इस बिल में “वर्चुअल डिजिटल स्पेस” को शामिल किया गया है, जिससे आयकर अधिकारियों को डिजिटल डिवाइस और वर्चुअल स्पेस की जांच करने की अनुमति मिलेगी।
इस नए प्रावधान के तहत टैक्स अधिकारी अब कंप्यूटर सिस्टम, मोबाइल डिवाइस और अन्य डिजिटल एक्सेस कोड की जांच कर सकते हैं। वर्चुअल डिजिटल स्पेस को पहली बार कानूनी दायरे में लाया गया है। इसका उद्देश्य टैक्स चोरी पर अंकुश लगाना और डिजिटल लेनदेन की जांच को आसान बनाना है।
आयकर विभाग के अधिकारियों को इन प्रावधानों के तहत क्लाउड स्टोरेज, डिजिटल वॉलेट और वर्चुअल एसेट्स तक पहुंचने की ताकत दी गई है।
इस बिल को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल डेटा की जांच से टैक्स चोरी रोकने में मदद मिलेगी, लेकिन डेटा प्राइवेसी को लेकर भी सवाल उठ सकते हैं।
सरकार ने दावा किया कि ये बदलाव डिजिटल इकोनॉमी को बेहतर और पारदर्शी बनाने के लिए किए गए हैं।