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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2023 के अकोला दंगों से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसले में मुस्लिम युवाओं के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जाँच का निर्देश दिया है। यह फैसला बॉम्बे हाई कोर्ट के उस निर्णय के खिलाफ एक याचिका पर आया, जिसने याचिकाकर्ता की अपील को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस कदम ने मामले में न्याय और निष्पक्षता की उम्मीद जगाई है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि दंगे के बाद मुस्लिम युवाओं को बिना किसी सबूत के फँसाया जा रहा है और उन पर झूठे आरोप लगाए गए हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इन आरोपों पर ध्यान नहीं दिया था, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी समुदाय के खिलाफ पक्षपात नहीं होना चाहिए और आरोपों की गहन और निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए।
कोर्ट का यह निर्देश इस बात पर जोर देता है कि न्यायपालिका सभी के लिए समान है। यह फैसला उन लोगों के लिए एक बड़ी राहत है जो महसूस करते हैं कि उनके साथ अन्याय हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को इस मामले की पूरी जाँच करने और रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।